दो-पहर

ये जीत-हार तो इस दौर का मुक्द्दर है
ये दौर जो के पुराना नही नया भी नहीं
ये दौर जो सज़ा भी नही जज़ा भी नहीं
ये दौर जिसका बा-जहिर कोइ खुदा भी नहीं

[जज़ा = rewards ],[बा-जहिर = evidently ]

तुम्हारी जीत अहम है ना मेरी हार अहम
के इब्तिदा भी नहीं है ये इन्तेहा भी नहीं
शुरु मारका-ए-जान अभी हुआ भी नहीं
शुरु तो ये हंगाम-ए-फ़ैसला भी नहीं

[इब्तिदा = beginning] ,[इन्तेहा = end],[मारका-ए-जान = battle for life ]
[हंगाम-ए-फ़ैसला = commotion before the verdict]

पयाम ज़ेर-ए-लब अब तक है सूर-ए-इसराफ़ील
सुना किसी ने किसी ने अभी सुना भी नहीं
किया किसी ने किसी ने यकीं किया भी नहीं
उठा जमीं से कोई, कोई उठा भी नहीं

[पयाम = message], [ज़ेर-ए-लब = on the lips]
[सूर-ए-इसराफ़ील=according to the islamic theology,Israafil is one of the angels who would call the dead to life on the day of judgement by sounding a loud alarm. It is believed that everyone would get up from their graves and elsewhere after hearing this alarm. ]

कदम कदम पर दिया है रहज़नों ने फ़रेब
के अब निगाह मे तौकीर-ए-रहनुमा भी नहीं
उसे समझते है मंजिल जो रास्ता भी नहीं
वहाँ लगाते हैं डेरा जहाँ वफ़ा भी नही

[रहज़न = caravan robbers ], [तौकीर-ए-रहनुमा=respect for the leader]

ये कारवाँ है तो अनज़ाम-ए-कारवाँ मालूम
के अजनबी भी नहीं कोई आशना भी नहीं
किसी से खुश भी नहीं कोई खफ़ा भी नहीं
किसी का हाल मुड़ कर कोइ पूछता भी नहीं

[आशना = acquaintance ]

-कैफ़ी आज़मी

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